किसी 'खास' की जानकारी भेजें। तलसाराम मीणा : शैक्षिक नवाचारों के लिए प्रतिबद्ध
राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय, ढांगा सिरोही जिले में ब्लॉक पिण्डवाडा, से 9 किमी दूर उदयपुर हाइवे पर स्थित है। यह पूर्णतया आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। विद्यालय की स्थापना सन् 1958 में एक प्राथमिक विद्यालय के रुप में हुई थी। यह सन् 2006-07 में उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के रुप में क्रमोन्नत हुआ। विद्यालय में 7 कक्षा कक्ष, 1 प्रधान अध्यापक कक्ष, 1 रसोई घर है। बालक-बालिकाओं हेतु अलग-अलग शौचालय बने हुए हैं। चार दिवारी भी निर्मित है। पीने के पानी हेतु हैंडपम्प है। 5 अध्यापक हैं।
जब मैं इस विद्यालय में आया था तो इस क्षेत्र के लोगो एवं बच्चों की स्थानीय भाषा मेरे लिए बिलकुल नई थी। बच्चों में भय एवं झिझक व्याप्त थी। शिक्षण के दौरान विद्यार्थियों से प्रश्न पूछे जाने पर वे जवाब नहीं दे पाते थे। वे अपने आपको हीन समझने लगे थे। प्रार्थना सभा में केवल प्रार्थना एवं प्रतिज्ञा ही होती थी। उसमें भी विद्यार्थी आगे आकर बोलने में हिचकिचाते थे। शनिवारीय कार्यक्रम में भी बच्चे रुचि नहीं लेते थे। बच्चे हिन्दी अच्छी तरह से समझ नहीं पाते थे। अँग्रेजी में भी पढ़ नहीं सकते थे। कक्षा 7 व 8 में मुझे हिन्दी व अँग्रेजी विषय शिक्षण हेतु दिए गए। मेरे लिए यह बहुत कठिन कार्य था। समाधान की दिशा में बढ़ने हेतु मैंने निम्नलिखित प्रयास किए।
प्रार्थना सभा को प्रभावी बनाया
सर्वप्रथम मैंने प्रार्थना सभा को प्रभावी बनाने हेतु विद्यालय के प्रधानाचार्य से सलाह मशवरा किया एवं एक योजना बनाई। मैंने साथी शिक्षकों का भी सहयोग लिया। मैंने संस्था प्रधान से प्रार्थना सभा में हिन्दी कहानी, अखबार वाचन, सामान्य ज्ञान प्रश्नोतरी आदि जोड़ने हेतु निवेदन किया। मैंने ऐसी योजना बनाई जिसमें प्रतिदिन कक्षा 6 के छात्र अखबार वाचन करते थे तथा कक्षा 7 के छात्र हिन्दी की कहानी का पाठ करते थे। कक्षा 8 के छात्र हिन्दी की पुस्तक में से कविता एवं प्रेरक प्रसंग सुनाते थे। इन गतिविधियों में सारे बच्चे भाग लें इसलिए उनके हाजिरी रजिस्टर के क्रम से उनका क्रम तय कर दिया। इससे बच्चों में हिन्दी भाषा के प्रति रुचि बढ़ी। उच्चारण में सुधार आया। इसी तरह की योजना अँग्रेजी भाषा के लिए भी बनाई। इससे विद्यार्थियों में अँग्रेजी के प्रति रूचि बढ़ी तथा उसके प्रति उनका भय कम हुआ।
शनिवारीय कार्यक्रम को प्रभावी बनाया
बालसभा का आयोजन प्रति शनिवार को करवाया जाता है। विद्यालय की बालसभा में गीत, भजन, अन्ताक्षरी होती थी। मैंने इस शनिवारीय कार्यक्रम में भाषण प्रतियोगिता, शब्द अन्ताक्षरी भी जोड़ी। शब्द अन्ताक्षरी में मैंने विद्यार्थियों के दो समूह बनाए। एक समूह कोई शब्द बोलता उसके अन्तिम वर्ण से शुरू होने वाला शब्द दूसरा समूह बोलता। इसी तरह विलोम शब्द जिसमें कोई समूह कोई शब्द बोलता जैसे आकाश। तो दूसरा समूह पाताल बोलता। इसी तरह लिंग, वचन, प्रत्यय, उपसर्ग आदि की अन्ताक्षरी करवाई। इसके अलावा मैंने लिखित अभिव्यक्ति हेतु विद्यार्थियों में निबन्ध प्रतियोगिता, श्रुतिलेख, सुलेख आदि का आयोजन करवाया। यह गतिविधियाँ मैंने अँग्रेजी में भी करवाईं।
साथ ही मैंने हस्तनिर्मित हिन्दी एवं अँग्रेजी में 20 चार्ट तैयार किए। इनमें हिन्दी में पर्यायवाची शब्द चार्ट, विलोम शब्द चार्ट, लिंग एवं वचन चार्ट, संज्ञा एवं सर्वनाम चार्ट, संधि एवं समास चार्ट , प्रत्यय व उपर्सग के चार्ट आदि थे। इसी तरह अँग्रेजी में कहानी चार्ट, Tense Charts, Degree of Comparison Charts, Parts of Body, Opposite Charts, Verbs , Paragraph Writing Charts आदि हस्तनिर्मित चार्ट तैयार कर कक्षा कक्ष में लगाए । ये चार्ट विद्यार्थियों के साथ मिल बैठकर एवं इनका सहयोग लेकर निर्मित किए गए।
प्रयासों से आए परिवर्तन
छात्र-छात्राओं का भय एवं झिझक दूर हुई है। विद्यार्थी समूह में मिलकर कार्य करने लगे । प्रार्थना सभा में अखबार वाचन, कहानी बोलना, कविता, गीत आदि अपने निर्धारित हाजिरी क्रम से बोलते हैं। शनिवारीय कार्यक्रम एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगे। कक्षा आठवी बोर्ड का परिणाम हिन्दी एवं अँग्रेजी विषय में शत प्रतिशत हुआ है।
प्रार्थना सभा एवं शनिवारीय कार्यक्रम ज्यादा उपयोगी हो गए हैं। इससे विद्यार्थियों की मौखिक अभिव्यक्ति का विकास हुआ है। लिखित अभिव्यक्ति सुधरी है। कक्षा कक्ष में चार्ट लगाने से विद्यार्थी खाली कालांश में इनको देखकर चर्चा करते है एवं सीखते हैं।
तलसाराम मीणा
- एम.ए.अँग्रेजी, बी.एड.
- राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, ढांगा (पिण्डवाडा),जिला सिरोही, राजस्थान
- 2005 से शिक्षक।
- अध्ययन-अध्यापन में रुचि।
वर्ष 2009 में राजस्थान में अपने शैक्षिक काम के प्रति गम्भीर शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘बेहतर शैक्षणिक प्रयासों की पहचान’ शीर्षक से राजस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद तथा अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन द्वारा संयुक्त रूप से एक कार्यक्रम की शुरुआत की गई। 2009 तथा 2010 में इसके तहत सिरोही तथा टोंक जिलों के लगभग 50 शिक्षकों की पहचान की गई। इसके लिए एक सुगठित प्रक्रिया अपनाई गई थी। तलसाराम मीणा वर्ष 2009 में 'शिक्षण अधिगम तथा कक्षा प्रबन्धन' के लिए चुने गए हैं। यह टिप्पणी पहचान प्रक्रिया में उनके द्वारा दिए गए विवरण का सम्पादित रूप है। लेख में आए विवरण उसी अवधि के हैं। टीचर्स ऑफ इण्डिया पोर्टल टीम ने तलसाराम जी से उनके काम तथा शिक्षा से सम्बन्धित मुद्दों पर बातचीत की। वीडियो इसी बातचीत का सम्पादित अंश हैं। हम तलसाराम मीणा ,राजस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद तथा अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन, सिरोही के आभारी हैं।