एक शिक्षिका ने एक विशेष प्रकार की गतिविधि से बच्चों पर ऐसा प्रभाव डाला है कि छोटे से गाँव के ज्यादातर मजदूर किसानों के बच्चे अपने बड़े बुजुर्गों के साथ सम्बन्धों का महत्त्व जान रहे हैं। ये बच्चे अपने मददगार व्यक्तियों के प्रति आभार जताने के नए तरीके सीख रहे हैं। साल में दो-तीन मौकों पर इस...
लर्निंग कर्व हिन्दी अंक 13 : अक्टूबर, 2016

Description:
लर्निंग कर्व हिन्दी अंक 13 : अक्टूबर, 2016 ‘भारत में सार्वजनिक शिक्षा तंत्र’ पर केन्द्रित है।
उसमें शामिल लेखों की सूची यहाँ है :
- सार्वजनिक शिक्षा क्या है ? * अनुराग बेहार
- ब्रांड : सरकारी स्कूल * दिलीप रांजेकर
- भारत में मानव विकास को समझना * अमरजीत सिन्हा
- मैं अपनी आजादी चाहता हूँ : मुझे रास्तों का नक्शा मत बताओ ! * रोहित धनकर
- शिक्षा के लिए प्रतिबद्धता : क्या हम असफल हो रहे हैं ? * हृदय कांत दीवान
- सामाजिक स्तरीकरण पर शिक्षा के निजीकरण के प्रभाव * अमन मदान
- क्या निजी स्कूल वास्तव में बच्चों के बेहतर अधिगम-परिणाम सुनिश्चित करते हैं ? * डी.डी. करोपाडी
- सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के लिए आर.टी.ई अधिनियम का महत्व * बी.एस. ऋषिकेश
- सार्वजनिक न्यूनताओं के लिए सार्वजनिक समाधानों की आकांक्षा करना * मानबी मजूमदार और कुमार राणा
- शिक्षा के साथ रोमांस * शरद चन्द्र बेहार
- जमीनी स्तर से अवलोकन * एस. गिरिधर
- सरकारी स्कूल प्रणाली के साथ हमारे अनुभव * आनन्द स्वामीनाथन
- निजी और सार्वजनिक पर कुछ असम्बद्ध विचार * अर्जुन जयदेव
- वरदेनहल्ली स्कूल के बच्चों के साथ कुछ अनुभव * कमला मुकुन्दा
- हमारी शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों की स्थिति * विमला रामचन्द्रन
- स्वैच्छिक शिक्षक मंच : एक यात्रा का अनुभव (राजस्थान) * अभिषेक सिंह राठौड़
- स्कूल तेरे कितने नाम * राहुल मुखोपाध्याय और अर्चना मेहेंदले
- शिक्षक अधिगम समुदाय : सुरपुर से प्राप्त अन्तर्दृष्टि * उमाशंकर पेरिओडी
- शिक्षा तंत्र में संवाद और समन्वय : अनंत गंगोला और जगमोहन सिंह कठैत
- राजस्थान सरकार के स्कूलों के लिए कार्यपुस्तिकाओं के निमार्ण का अनुभव : आँचल चोमल
अंक देखने के लिए इस लिंक पर जाएँ लर्निंग कर्व हिन्दी अंक 13