मेरा यह मानना है कि हिन्दी के अध्यापक को अग्रेज़ी भाषा और साहित्य का भी ज्ञान होना चाहिए तभी वह अपने विद्यार्थियों को वैश्विक जगत से जोड़ पाएगा और विद्यार्थियों में हिन्दी भाषा के प्रति रुचि विकसित करने में सक्षम हो पाएगा ।
अपने विचार के सन्दर्भ में कुछ और भी तर्क रखें कि आखिर क्यूँ?? क्या शेष बचे विषय (हिंदी के अलावा) से ऐसा नहीं हो पाएगा??
अपने विचार के सन्दर्भ में कुछ
अपने विचार के सन्दर्भ में कुछ और भी तर्क रखें कि आखिर क्यूँ?? क्या शेष बचे विषय (हिंदी के अलावा) से ऐसा नहीं हो पाएगा??