राजकीय विद्यालयों में आकस्मिक ख़र्चे की राशि इतना कम होना अनुचित
पिछले दिनों में कई विद्यालयों के सर्वे के दौरान मैंने एक बात को नोटिस किया कि वहाँ के शिक्षक विद्यालय में कई नई गतिविधियाँ प्रारम्भ तो करना चाहते लेकिन शाला में एक वर्ष के लिये आकस्मिक खर्चे की राशि मात्र 5,000 ₹ है जो की बहुत ही कम है । विद्यालयों के शिक्षकों का मानना है कि वे इस राशि से केवल कुछ महत्वपूर्ण शिक्षण सहायक सामग्रीयाँ जैसे चौंक , डस्टर , स्केच पेन , पेन्सिल , कुछ रजिस्टर इत्यादि स्टेशनरी सामग्रीयाँ ही खरीद पाते है । इस पैसे में केवल इन चीजों को ख़रीदा जा सकता है । लेकिन कुछ महत्वाकांक्षी शिक्षक उनके विद्यालय में कुछ नई सुविधा लाना चाहते है जैसे प्रोजेक्टर , स्पीकर , कम्प्यूटर , अभिनय मंच बनवाना , खेल सामग्री खरीदना , कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें , टीचिंग लर्निंग मटेरियल , शालेय सौन्दर्यीकरण आदि लेकिन सरकारी आर्थिक मदद के बिना वो ये कार्य को प्रारम्भ नही कर पाते । एसएमसी की बैठक में भी इन नई व्यवस्था को लाने के लिये सहायता की बात की जाती है जिसमे ज्यादातर विद्यालयों में आर्थिक समस्या का निराकरण नही हो पाता और बात धरी की धरी रह जाती है । ऐसी स्तिथि में शिक्षक कुछ आर्थिक मदद तो स्वयं के द्वारा कर देता है लेकिन जब ये राशि अधिक होती है तो वह निराश हो जाता है । मैं चाहता हूँ की फोरम में ये बात रखी जावे कि ये contingency का पैसा बडाकर करीब तीन गुना किया जाये । तथा अगर विद्यालय में अगर गाँव वाले लोगों और सी एमसी के सदस्यों की की सहमति से कुछ शाला विकास के कार्य किये जाये तो जिले स्तर पर उन्हें आर्थिक मदद जल्द से जल्द प्रदान करें । ताकि बिना लेट-लतीफी के शाला में अध्ययन और विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन होता रहे । मेरा यह विचार कैसा लगा अपनी राय देना न भूले ।
नीरज बिल्लौरे
डीएलएड योग्यताधारी अतिथि शिक्षक , देवास (म.प्र.)